जब नोटबंदी के लिए बैंक के कर्मचारी रात रात भर जाग रहे थे तब किसी ने नहीं कहा कि सरकारी बैंकों को प्राइवेट हाथों में बेच दो. जब लाखों बैंक कर्मचारी अपने काम से अतिरिक्त समय निकाल कर जनधन के लाखों खाते खोल रहे थे तब किसी ने नहीं कहा कि ये नकारे हैं, बोझ हैं, इन बैंकों को प्राइवेट हाथों में बेच दो.