कुपोषण को लेकर सुप्रीम कोर्ट से फटकार सुन चुकी महाराष्ट्र सरकार अब दावा कर रही है कि अगले दो महीनों में हालत सुधर जाएंगी, पर जमीनी हालात देखकर ऐसा नहीं लगता. आदिवासी इलाकों में तकरीबन सारे पद खाली हैं. आगंनवाड़ी कार्यक्रमों के लिए कोई इमारत नहीं है. कार्यकर्ताओं को जो पैसा मिलना चाहिए वो भी वक्त पर नहीं मिलता.