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रवीश की रिपोर्ट : चुनावों में गूंज रहा है पुलिस मुठभेड़ों का मुद्दा

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उत्तर प्रदेश में पुलिस मुठभेड़ एक गंभीर चिंता का मुद्दा है. इसी साल जनवरी में सुप्रीम कोर्ट ने ये एक याचिका पर सुनवाई करते हुए ये टिप्पणी की थी. पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज़ की ओर से दायर इस याचिका में उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार के दौर में हुए 1100 पुलिस मुठभेड़ों की सीबीआई जांच की मांग की गई थी. याचिका के मुताबिक इन मुठभेड़ों में 49 लोगों की मौत हुई और 370 लोग घायल हुए. वैसे राज्य में कुल पुलिस मुठभेड़ों की तादाद याचिका में बताई गई मुठभेड़ों से कहीं ज़्यादा है. पीयूसीएल ने कहा था कि मानवाधिकारों और नागरिक आज़ादी के तमाम अधिकारों को धता बताते हुए यूपी में खुलेआम पुलिस मुठभेड़ हुई हैं और ये स्टेट स्पॉन्सर्ड टेररिज़्म यानी राज्य प्रायोजित आतंकवाद है. राज्य दुर्दांत अपराधियों और आतंकवादियों से निपटने के नाम पर संविधान के सिद्धांतों के ख़िलाफ़ नहीं जा सकता. उत्तर प्रदेश के आज़मगढ़ में ये मुद्दा काफ़ी गर्म है. पुलिस मुठभेड़ में सबसे ज़्यादा लोग आज़मगढ़ में ही मारे गए हैं.



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