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प्राइम टाइम: ट्रैफिक नियम तोड़ने पर सख्त कानून बनाना ही काफी होगा?

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दुनिया में हर साल औसतन क़रीब साढ़े तेरह लाख लोग सड़क हादसों में मारे जाते हैं और इनमें सबसे ज़्यादा लोगों की मौत भारत में होती है. पिछले ही साल भारत में क़रीब डेढ़ लाख लोग सड़क दुर्घटनाओं में अपनी जान गंवा बैठे. यही वजह है कि देश में सड़क सुरक्षा से जुड़े नियमों को सख़्त करने के लिए सरकार काफ़ी गंभीर है... इसी सिलसिले में केंद्र सरकार वाहनों से जुड़े क़ानून में संशोधन कर रही है. लोकसभा में मोटर वाहन संशोधन बिल 2019 पास हो चुका है. केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने इस बिल की ज़रूरत पर ज़ोर देते हुए संसद में बताया कि औसतन हर रोज़ सड़क हादसों में चार सौ लोगों की मौत होती है. 50 फीसदी सड़क हादसों में जिन लोगों की मौत हुई उनकी उम्र 14 से 35 साल के बीच थी. पिछले साल जितने सड़क हादसे हुए उनमें से दो तिहाई तेज़ रफ़्तार की वजह से हुए और 5 फीसदी शराब पीकर गाड़ी चलाने से हुई. इस तादाद को कम करने के लिए ज़रूरी है कि सड़क से जुड़े नियमों के पालन में सख़्ती की जाए और लोगों को उन्हें लेकर जागरूक किया जाए.



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