घटक दल शायद दोबारा हो गए हैं नाराज, जेडीयू के साथ अनबन है जारी और शिवसेना ने कहा हमें ढाई साल के लिए चाहिए मुख्यमंत्री पद. क्या है इसके मायने. ऐसे में सवाल यह उठता है कि क्या यह नाराजगी महज दिखावा है? क्या बीजेपी घटक दलों को कर सकते हैं अनसुना? और क्या बड़े घटल दलों को नहीं मिल रहा है आनुपातिक प्रतिनिधित्व. बता दें यह कोई पहला मौका नहीं है जब बीजेपी और उसके घटक दलों के बीच खींचतान की बात सामने आई हो. कुछ दिन पहले ही बिहार में जेडीयू-बीजेपी के बीच मनमुटाव की बात सामने आई थी.