गरीबी रेखा से नीचे जीने वाले लोगों के लिए बनाए गए मकान ढाई साल से तैयार हुए पड़े हैं लेकिन उनमें रहने के लिए 'गरीब' ढूंढे नहीं मिल रहे हैं।
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