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रवीश कुमार का प्राइम टाइम: कभी राम.. कभी कश्मीर के नाम पर.. कभी जाति, कभी ट्विटर के नाम पर

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देखना चाहिए कि आपने जिस सोच के लिए दशकों पसीना बहाया है. उसका परिणाम क्या निकल कर आ रहा है. जब देखने का वक्त आया है तो कई लोग कहे जा रहे हैं कि देखा नहीं जा रहा है. जो भी ऐसा कहते हैं वो उनका झूठ है. जिस सोच को आपने निजी फैसलों में, राजनीतिक फैसलों में, सामाजिक फैसलों में जगह दी और दिये जा रहे हैं क्या आपको देखना नहीं चाहिए कि उसका जो नतीजा आया है वो कैसा दिख रहा है. इसके होते रहने से तो आप भाग नहीं रहे तो फिर इसके देखे जानें से क्यों भाग रहे हैं. कानपुर अगर दूर है तो क्या दिल्ली दूर थी.



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