रवीश कुमार का प्राइम टाइम: क्या मुकदमों से CAA विरोधी छात्रों को डरा रही है पुलिस?
प्रकाशित: दिसम्बर 26, 2019 09:00 PM IST | अवधि: 36:19
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नागरिकता संशोधन कानून के विरोध प्रदर्शनों के दौरान हिंसा हुई. इसके एक ही पहलू की बात हो रही है कि कुछ जगहों पर इसमें शामिल लोगों ने हिंसा की, लेकिन पुलिस की हिंसा पर बात ही नहीं हो रही है. सरकार की तरफ से कोई निंदा नहीं कर रहा है. एक तीसरी तरह की हिंसा है जिस पर बिल्कुल बात नहीं हो रही है. प्रेस पुलिस या सरकार कोई इस पर बात नहीं कर रहा. जैसे पटना के फुलवारीशरीफ में प्रदर्शनकारियों पर सामने से जो भीड़ पत्थर चलाने आई थी, जिसकी तरफ से प्रदर्शनकारियों पर गोलियां चलीं वो लोग कौन थे? जैसे मुजफ्फरनगर में पूर्व सांसद सईदुज़्मा की चार कारों को चलाने वाले कौन थे? प्रदर्शनकारी के बीच से हिंसा करने वाले तो देखे जा रहे हैं, लेकिन उनपर सामने से हमला करने वालों की बात ही नहीं हो रही है, जबकि कई जगहों से ऐसे आरोप लगे हैं. क्या इन प्रदर्शनों में छात्रों के शामिल होने से रोकने के लिए उन्हें डराया जा रहा है? क्या उन्हें डराने के लिए पुलिस और खुफिया विभाग का भी इस्तेमाल हो रहा है?