रवीश कुमार का प्राइम टाइम : आर्थिक सर्वे - कैसे सरकार बदल रही है लोगों को, क्या है Nudge के पैंतरे
प्रकाशित: जुलाई 04, 2019 09:00 PM IST | अवधि: 44:36
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आठ लोगों के हाथ में आर्थिक सर्वे है. जिसके बीच में हैशटैग 5 ट्रिलियन डॉलर यानी 5 ख़रब की अर्थव्यवस्था का नया टारगेट है जो अगले पांच साल में हासिल करना है. जीडीपी को 7 प्रतिशत तक पहुंचाना है. हैश टैग वाले इस आर्थिक सर्वे के कवर पर 10 गोले बने हैं. इनमें से आठ गोले में अलग अलग टारगेट लिखे हैं. नौकरी, निवेश, निर्यात, बचत, डेटा और कानून इसके अलावा एक है नज (Nudge). डिक्शनरी में देखेंगे तो नज का मतलब धकेलना होगा लेकिन इकोनमी में एक थ्योरी नज इकोनमिक्स कहलाती है. इसे 2017 के अर्थशास्त्र में नोबल पुरस्कार विजेता और अमेरिकी अर्थशास्त्री रिचर्ड थेलर ने प्रतिपादित किया है. नज इकोनोमी में लोगों के वित्तीय व्यवहार को बिना ज़ोर ज़बरदस्ती के निर्देशित किया जाता है. यानी सरकार एक तरह से आपकी आदतों को बदलेगी कि आप आर्थिक क्रियाकलाप कैसे करेंगे. रिचर्ड थेलर की किताब Nudge कई यूनिवर्सिटी में पढ़ी जाती है और पढ़ाई जाती है. 2010 में ब्रिटेन के प्रधानमंत्री के दफ्तर में एक टीम बनाई गई थी जिसका उद्देश्य नज थ्योरी की मदद से सरकारी नीतियों को सफलता से लागू करना है और कम खर्चे में योजनाओं का प्रचार प्रसार करना है. भारत में भी नीति आयोग इस लाइन पर सोचता रहा है. क्या इस थ्योरी के अनुसार कम खर्चे में प्रचार प्रसार हुआ.