रवीश कुमार का प्राइम टाइम: मज़दूरों के लिए एक राष्ट्र कब होगा?
प्रकाशित: मई 14, 2020 09:00 PM IST | अवधि: 35:27
Share
24 मार्च को हुई तालाबंदी से लेकर अब तक देश के अलग-अलग राज्यों राज्यों में एक जगह से दूसरी जगह पर कितने लाख या कितने करोड़ मजदूरों का पलायन हुआ है सही संख्या हम शायद कभी ना जान पाएं. क्योंकि हमें पता नहीं है कितने मजदूरों ने अपनी जेब से बसों को किराए पर किया, ट्रक किराए पर लिया, ट्रक की छतों पर लद कर गए. उनकी संख्या कहीं दर्ज है या नहीं है. इसलिए यह संख्या बड़ी होते हुए भी कभी वास्तविक रुप से हमें नजर नहीं आएगी. लेकिन एक जगह पर नजर आती है जब सरकारें अपनी वाहवाही में बताती हैं कि कितने लाख मजदूर आ गए हैं और कितने लाख मजदूरों को ट्रेन से पहुंचाया गया.