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बापू का सम्मान करने के लिए यही गीत क्यों चुना, बता रहे हैं रवीश कुमार

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30 जनवरी 1948 को दिल्ली के बिरला हाउस में महात्मा गांधी को नाथूराम गोडसे ने गोली मार दी गई थी. एक गाना एक उम्मीद में सुनाया जा रहा है कि हम सबके जहन में जो आवेश और आवेग आ गया है, जिसके चलते हम किसी को कम बर्दाश्त करने लगे हैं. इस गाने के असर में यह समझें कि यह आवेश हम सबको हत्यारा बना रहा है. हत्यारा वहीं नहीं है जो गोली चला रहा है. वो भी है जो गोली चलाने के साथ खड़ा है. उस सोच को फैलाने वाले के साथ खड़ा है. इसी दिल्ली में 30 जनवरी 1948 को इस सनक ने गांधी की हत्या कर दी.



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