जनता को इंतजार है कि हमारे नेता संसद में बोलें, जिसे लोकतंत्र का मंदिर कहा जाता है. तब तक जनता का इंतजार बना रहेगा. शुक्रवार को शीतकालीन सत्र का आखरी दिन है और उम्मीद का भी.
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