साल 2002 के गुजरात दंगों के दौरान नरोदा पाटिया में हुए नरसंहार के पीड़ित परिवारों का कहना है कि कोर्ट के फैसले ने उन्हें काफी राहत दी है, मगर पुराने जख्मों को भुलाना आसान नहीं है।
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