सियासत के इस एपिसोड में बात उस कांग्रेस की, जिसमें केसरी अब अध्यक्ष पद की कुर्सी पर थे। पार्टी के पास सत्ता नहीं थी और सोनिया के इर्द−गिर्द धुव्रीकरण तेजी से हो रहा था।
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