पुरानी दिल्ली की गलियां आबादी और आमदनी बढ़ाने के बोझ से बढ़ती गईं और आज हालात ये हैं कि इन अंधेर और बेहद तंग गलियों में बसे परिवारों के बीच मकान नहीं, बल्कि कमरे भी बंटने लगे हैं।
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