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रवीश कुमार का प्राइम टाइम : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फटकारा यूपी सरकार को

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इलाहाबाद हाइकोर्ट में दो जजों की बेंच ने जो फैसला सुनाया है वो कम महत्वपूर्ण नहीं है. ऐसा फैसला बता रहा है कि कुछ बचा है कि अदालतों के भरोसे ही वरना अब सरकार अपने उन फैसलों के लिए भी शर्मिंदा नहीं होती जो संवैधानिक मूल्यों और मर्यादाओं के खिलाफ़ पाई जाती हैं. पहले मामला समझिए. लखनऊ की सड़कों पर 50 लोगों की तस्वीरें उनकी निजी जानकारी के साथ बैनर पर लगा दी गईं. लिखा हुआ था कि इन सभी से नागरिकता कानून के विरोध में हुए प्रदर्शनों से सार्वजनिक संपत्ति को हुए नुकसान का हर्जाना वसूला जाना है. इनमें पूर्व आईपीएस एस आर दारापुरी, एक्टिविस्ट सदफ जफर, दीपक कबीर के भी नाम है. 80 साल के वकील शोएब वकील का भी चेहरा है. इस बैनर पर इनकी तस्वीरें हैं, नाम हैं, घर का पता है, पिता का भी नाम है. चीफ जस्टिस गोविन्द माथुर और जस्टिस रमेश सिन्हा ने साफ कह दिया कि 50 लोगों के बैनर लगा कर यूपी सरकार ने मौलिक अधिकारों का और आर्टिकल 21 के तहत मिले जीवन और स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन किया है. कोर्ट ने कहा कि बैनर लगाकर प्रशासन ने शर्मनाक रूप से निजी जानकारी को चित्रित किया है. सरकारी एजेंसी ने अलोकतांत्रिक तरीके से काम किया है.



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