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प्राइम टाइम: भीमा कोरेगांव केस में मानवाधिकार कार्यकर्ता, वकील, पत्रकार गिरफ़्तार

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जब सरकारें आपको कम्युनिस्ट बताकर गिरफ्तार करने आने लगे तो समझ लेने का वो आखिरी वक्त होता है कि अब आपकी कोई हैसियत नहीं है. जब टीवी चैनल अर्बन नक्सल और कम्युनिस्ट बताकर देश का दुश्मन टाइम बहस करने लगें तो समझ लेने का आखिरी वक्त होता है कि अब नौकरी से लेकर पढ़ाई पर बात नहीं होगी. अब आपकी बात ही नहीं होगी और जो भी होगी उस प्रोपेगैंडा के हिसाब से होगी, जिसे मैं अक्सर थीम एंड थ्योरी कहता हूं. जिसे लेकर एक तरफ विरोधी या सवाल करने वालों को कुचला जा सके और दूसरी तरफ सवाल न उठे इसका इंतज़ाम किया जा सके. थीम एंड थ्योरी के तहत तीन मूर्ति में किस किस की मूर्ति लगेगी बहुत कमज़ोर टॉपिक था. इसलिए आज एक नया टॉपिक न्यूज़ मीडिया के मार्केट में लांच हो गया है, जिसके सहारे धीरे-धीरे मीम बनकर आपके व्हाट्सऐप में आने लगेगा. आप लाठियां खाते रहें कि सरकारी नौकरी में बहाली कब होगी मगर आपके सारे रास्ते बंद हो चुके हैं.



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