प्रकाशित: नवम्बर 08, 2017 09:00 PM IST | अवधि: 34:07
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नोटबंदी पर पिछले एक साल से जो कहा जा रहा था, पक्ष में और विपक्ष में करीब-करीब वही बातें नवंबर के पहले सप्ताह से फिर से कही जा रही हैं. ठीक उसी तरह से जैसे इम्तहान के एक हफ्ता पहले से छात्र रिवाइज़ करने लगते हैं. दावों और सवालों में कोई अंतर नहीं है मगर उन्हीं बातों को कहने के लिए जिस ऊर्जा का प्रदर्शन किया गया वो अदभुत है. हर बार वही दावे किए गए और हर बार उन्हीं कहानियों से दावों पर सवाल उठाया गया.