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प्राइम टाइम: धरती कब तक सहेगी ये लापरवाही?

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बाढ़, सूखा, अगलगी अब ये सब पुराने शब्द हो चुके हैं. इनकी जगह आपदा का इस्तेमाल होने लगा है. आपदा के साथ खूबी ये है कि प्रबंधन आराम से लग जाता है. वन न रहे, पर्यावरण न रहे, नदी न रहे, तालाब न रहे मगर आपदा प्रबंधन जब तक है चिंता की बात नहीं है. पर्यावरण मंत्रालय के तहत होता तो थोड़ा भरोसा कम भी होता मगर अच्छी बात यह है कि आपदा प्रबंधन गृह मंत्रालय के तहत है. वन विभाग उन जगहों पर भी है जहां वन नहीं हैं. जहां वन के नाम पर उद्यान लगाए जा रहे हैं जबकि उद्यान विभाग भी अलग से है.



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