जब संसद 100 दिन भी न चले... बिना कार्यवाही स्थगित हुई एक दिन न गुज़रे... तब संसद की भूमिका को लेकर ज़रूर बात होनी चाहिए और जब यह रुटीन हो जाए तब तो और...।
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