मोदी सरकार के गठन के छह महीने बाद पहली बार सरकार के नीतियों के खिलाफ एक मार्च निकला, जिसमें भोजन और रोज़गार के अधिकार की मांग को लेकर देश भर के आदिवासी और कामगार मज़दूर इसमें शामिल हुए।
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