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पंचेश्वर बांध पर्यावरण के लिए क्यों है गंभीर खतरा? देखें- रामनाथ गोयनका अवार्ड विजेता रिपोर्ट

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पंचेश्वर हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट: महाकाली नदी पर दुनिया का दूसरा सबसे ऊंचा बांध बनाने की तैयारी चल रही है. यह बांध एक ऐसी ज़मीन के ऊपर बनने वाला है, जिसके अंदर हलचल जारी है. भूकंप के लिहाज़ से सबसे संवेदनशील इलाका है. इस बांध को बनाने से जुड़ी इनवायरनमेंट इमपैक्ट एसेसमेंट रिपोर्ट कई तकनीकी और तथ्यात्मक ग़लतियों से भरी रही है. वैज्ञानिक दृष्टि से कई विसंगतियां इस रिपोर्ट में हैं. इस बांध के लिए भारत और नेपाल का एक बड़ा इलाका झील में डुबाने की तैयारी है. ये इलाका वन्यजीवों और वनस्पति के लिहाज से बेहद समृद्ध है और सब इस बांध की झील में डूब जाएगा. यही नहीं, ये बांध एक बड़े समाज को उसकी ज़मीन से बेघर कर देगा. बांध से प्रभावित होने वाले स्थानीय बाशिंदों की शिकायतें भी ठीक से नहीं सुनी गईं. जन-सुनवाईयां जिस तरह से आयोजित की गईं वो अपने आप में कई सवाल खड़े करती हैं. बांध के अपस्ट्रीम और डाउनस्ट्रीम में बड़ा इलाका हमेशा के लिए बर्बाद हो जाएगा. बिजली और सिंचाई के नाम पर बन रही परियोजना दरअसल, विकास को लेकर हमारी भ्रांतिपूर्ण समझ का एक जीता जागता उदाहरण है. जलवायु में बदलाव का सामना कर रही दुनिया के तमाम देश जब बड़े बांधों से किनारा कर रहे हैं तब इस बांध को बनाने में समझदारी कहीं नहीं दिखती. यही नहीं जब तक ये बांध तैयार होगा, तब तक इससे मिलने वाली बिजली, ऊर्जा के वैकल्पिक साधनों के मुक़ाबले काफ़ी महंगी हो जाएगी. पर्यावरण का नुकसान जो होगा सो अलग. बांध से जुड़े इन्हीं सब मुद्दों की पड़ताल है ये रिपोर्ट, जिसे सैमसंग मोबाइल फ़ोन से शूट किया गया है. देखें- प्रतिष्ठित रामनाथ गोयनका अवार्ड विजेता यह रिपोर्ट



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