रवीश कुमार का प्राइम टाइम: चीफ जस्टिस रमना के विचारों पर कितना अमल करती है सरकार?
प्रकाशित: जुलाई 01, 2021 09:00 PM IST | अवधि: 35:55
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रोज़ रोज़ होने वाले राजनीतिक वाद-विवाद, आलोचनाएं, और विरोध प्रदर्शन के स्वर लोकतांत्रिक प्रक्रिया के अभिन्न अंग हैं. भारत के मुख्य न्यायाधीश एन वी रमना प्रोफेसर जूलियस स्टोन की किताब the province of law की यह पंक्ति जिस वक्त बता रहे थे शायद उसी के आस-पास भारत सरकार एक अध्यादेश ला रही थी कि आर्डेनेंस फैक्ट्री के कर्मचारी सरकार के फैसले के ख़िलाफ़ हड़ताल नहीं कर सकते. मुख्य न्यायाधीश ए-न वी रमना पी डी देसाई स्मृति व्याख्यानमाला में कहते हैं कि हर कुछ साल में शासक को बदल देने के अधिकार का इस्तमाल करने भर से सत्ता के अत्याचार से मुक्ति की गारंटी नहीं मिल जाती है. उनके कहने का यह भी मतलब है कि राज्य की सत्ता संप्रभु नहीं है. सर्वोच्च जनता है. और लोग सर्वोच्च हैं, संप्रभु हैं इस विचार को मानवीय गरिमा और स्वायत्ता की कसौटी पर भी परखा जाना चाहिए.