मुजफ्फरगनर दंगों के आहत लोगों के लिए बने राहत शिविरों में लश्कर के लोगों के आने की खबर की पुष्टि ही नहीं हो पाई थी। लेकिन राजनीतिक बयानबाजी आरंभ हो गई।
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