एक समय था जब स्पीकर से लेकर सांसद तक शिकायत करते थे कि मीडिया सिर्फ हंगामा दिखाता है, संसद का काम नहीं। अब हालत यह है कि संसद का काम ही हो गया है हंगामा करना।
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