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रवीश की रिपोर्ट: सीपीआईएमएल के भी हैं लोकसभा में 22 उम्मीदवार

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आज द हिंदू में एक लेख छपा है- क्या वामपंथ के बिना भारतीय लोकतंत्र का काम चल जाएगा? राष्ट्रवाद और भ्रष्टाचार की जानी-पहचानी राजनीतिक लाइनों से बाहर अचानक किसी दिन अगर आप पाते हैं कि किसानों का कोई जत्था दिल्ली या मुंबई चला आ रहा है तो समझ जाइए कि उसके पीछे लेफ्ट की राजनीति, लेफ़्ट के विचार से जुड़े लोग हैं. अगर ज़मीन का हक़ मांगता कोई जुलूस आपको देश की सड़कों पर नजर आए तो उसमें आपको लाल झंडा नजर आएगा. आखिर क्या बात है कि बीजेपी, कांग्रेस या किसी क्षेत्रीय दल के नेता किसानों और मज़दूरों के दैनिक संघर्षों में नज़र नहीं आते हैं. देखें पूरा वीडियो



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