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रवीश कुमार का प्राइम टाइम : दिल्ली दंगा- बेकरी से लेकर रेडिमेड गारमेन्ट्स को निशाना बनाने की कोशिश

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उत्तर पूर्वी दिल्ली की आबादी करीब 26 लाख होनी चाहिए. 23 लाख मतदाता हैं. यहां आबादी की बसावट का पैटर्न इस तरह से नहीं है कि बहुसंख्यक एक जगह बसते हों और अल्पसंख्यकों की बसावट उससे दूर कहीं किसी एक जगह पर हो. उत्तर पूर्वी दिल्ली में एक ही गली में हिन्दू और मुसलमान दोनों हैं. ऐसा भी है कि एक गली में मुसलमान है, तो बगल की गली में हिन्दू हैं. ऐसा है कि दोनों के मोहल्ले कहीं कहीं साफ-साफ अलग-अलग हैं. कुल मिलाकर देखेंगे तो यहां की बसावट मिली जुली बसावट है. जैसा होना चाहिए. यूपी, बिहार, उत्तराखंड से काम की तलाश में आने वाले लोगों के लिए दिल्ली में जगह नहीं थी. यमुना पार के विस्तृत इलाके में सबको जगह दी. दिल्ली दंगों में जो आर्थिक नुकसान हुआ है उसका मूल्यांकन ज़रूरी है. शिव विहार में ही जो पैटर्न उभर कर आ रहा है उससे पता चल रहा है कि यहां की पहचान बेकरी उद्योग को भी जमकर निशाना बनाया गया है. शिव विहार में भयंकर हिंसा हुई है. स्थानीय लोग इसकी तुलना सीरिया से करने लगे हैं.



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