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बेरोज़गारी पर काबू पाने में सरकार नाकाम क्यों?

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नवंबर 2016 में जब प्रधानमंत्री मोदी ने नोटबंदी की थी तब उमा भारती ने कहा था कि प्रधानमंत्री ने वही लागू किया जो कार्ल मार्क्स ने कहा था. बताइये एक ऐसा फैसला जो राइट और लेफ्ट को एक जगह लाकर खड़ा कर दे उस फैसले की बात ही नहीं हो रही है. ये तो नोटबंदी है जो अपने आप सामने आ जाती है. अज़ीम प्रेमजी यूनिवर्सिटी फॉर सस्टेनेबल डेवलपमेंट की एक ताज़ा रिपोर्ट में यह बात सामने आई है कि 2016 से 2018 के बीच 50 लाख लोगों की नौकरियां चली गईं. ऐसे में ये क्या महज़ इत्तिफ़ाक ही माना जाएगा कि 8 नवंबर 2016 को नोटबंदी का फ़ैसला हुआ और उसके बाद नौकरियां जाने का सिलसिला शुरू हो गया..



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