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बेरोज़गारी दूर करने पर सरकार का कितना ज़ोर?

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रोज़गार की हालत बहुत खराब है. काम मागने जाने वाले नौजवानों की संख्या में कमी आ गई है. इसके बाद भी काम नहीं मिल रहा है.पहले से कम लोग काम खोज रहे हैं और पहले से बहुत कम लोगों को काम मिल रहा है. सेंटर फार मानिटरिंग इंडियन इकानमी के नया सर्वे बताता है कि फरवरी 2019 में बेरोज़गारी की दर 7.2 प्रतिशत हो गई. काम मांगने वालों की दर 42.7 प्रतिशत पर आई है जो फरवरी 2018 में 43.8 प्रतिशत थी. 15 से 64 साल के लोगों को लेबर पार्टिशिपेशन रेट में गिना जाता है यानी ये वो लोग हैं जो काम मांगने के लिए जा रहे हैं. जब काम नहीं मिलता है तो काम मांगना बंद कर देते हैं. CMIE के आंकड़े भयावह हैं। हाल ही में एन एस एस ओ के सर्वे की खबर आई थी कि बेरोज़गारी 45 साल में सबसे अधिक है. वो रिपोर्ट प्रकाशित ही नही हुई जिसके विरोध में दो दो सांख्यिकी विज्ञानियों ने इस्तीफा दे दिया.



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