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रणनीति इंट्रो : काम नहीं तो नाम बदलो?

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दुनिया भर में शहरों के मुल्कों के और लोगों तक के नाम बदलते रहे हैं. इसलिए ये तर्क नहीं चलेगा कि कोई सरकार कोई नाम क्यों बदलती है. पहले भी शहरों के नाम बदले गए हैं. याद दिलाने की ज़रूरत नहीं कि बंबई, मद्रास खो गए, मुंबई-चेन्नई चल रहे हैं. आप ध्यान से देखेंगे तो पाएंगे कि नए नामों और पुराने नामों में कई बार बैर नहीं होता. इंडिया हो, भारत हो, हिंदुस्तान हो- सब हमारे लिए एक जैसा जज़्बा पैदा करते हैं. इलाहाबाद जब इलाहाबाद था तब भी प्रयाग नाम चलता था. फ़ैज़ाबाद ने अयोध्या को मिटाया नहीं था. बनारस वाराणसी भी है और काशी भी है.



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