प्रकाशित: जनवरी 27, 2014 09:21 PM IST | अवधि: 4:50
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राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी जब राष्ट्र के नाम संदेश दे रहे थे, तब सुनने वालों को लगा कि वह बिना नाम लिए आप-आप कर रहे हैं, लेकिन उनके भाषण को पढ़ें तो ऐसा प्रतीत होता है कि राष्ट्रपति एक ऐसी बात कह रहे हैं जो लागू सब पर होती है और सब उनकी बातों को सम्मान के नाम पर खारिज नहीं कर सकते।