भारत दुनिया में टीबी की राजधानी बन चुका है। इस बीमारी के खिलाफ जंग इसलिए कमजोर पड़ गई है, क्योंकि इसकी पहचान के लिए कोई कारगर टेस्ट ही नहीं है।
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