प्रकाशित: दिसम्बर 17, 2018 09:20 PM IST | अवधि: 3:36
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1984 में सिखों के क़त्लेआम की कहानियां दिल दहला देने वाली हैं. देर से इंसाफ़ को इंसाफ़ मिलना कैसे मान लिया जाए. हिंसा के पीड़ित आज भी उन दिनों की याद कर सिहर जाते हैं. हमारे सहयोगी श्रीनिवासन जैन ने फरवरी 2014 में अपने कार्यक्रम Truth vs Hype के लिए इन पीड़ितों से बात की. वो उन जगहों पर गए जहां ये नरसंहार हुआ. आप भी सुनिये इन पीड़ितों की ज़ुबानी, उनकी वो दिल दहला देने वाली कहानी...