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रणनीति इंट्रो: दिल्लीवालों को कैसे मिलेगा साफ हवा का अधिकार?

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नवंबर दिल्ली में एक ख़ुशगवार महीना होता है. कभी हिंदी के बड़े लेखक निर्मल वर्मा ने इसी दिल्ली के लिए लिखा था कि इस महीने में धूप के कोने झर जाते हैं. लेकिन वह निर्मल की दिल्ली थी- ये धूल-धुएं और धुंध में डूबी हुई ऐसी दिल्ली है जो अपनी ही गंदी परछाईं लगती है. देखिए आज कनॉट प्लेस का क्या हाल था. ये दोपहर एक बजे का नज़ारा है. गोपाल भवन, जीवन भारती की बिल्डिंग- ये सब जैसे स्मॉग में गुम हुए जा रहे हैं. ये सिर्फ कनॉट प्लेस का नहीं, पूरी दिल्ली और एनसीआर का हाल रहा.



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