मनमोहन जी की मुश्किल उस वक्त बढ़ गई, जब करुणानिधि उनसे बिना हाथ मिलाए आगे बढ़ गए। तब मनमोहन ने सुनाई ऐसी कविता की करुणानिधि को हाथ मिलाना ही पड़ा।
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