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रवीश कुमार का प्राइम टाइम : मातृभाषा दिवस पर भोजपुरी में एंकरिंग

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आप जानते हैं कि मेरी मातृभाषा भोजपुरी है. हिन्दी नहीं है. लेकिन इतना कह देने से कोई भाषा न आपसे अलग हो जाती है और न आप उस भाषा से अलग हो सकते हैं. त रउआ लोगीन से एगो बात कहे के बा. कई सौ साल से भोजपुरी परदेस से पलायन होते बा. हमने के आजो गिरमिटिया बनतानी सन. ई रूकत नईखे. गांव देहात में गइला पर स्कूल कालेज निमन लउकत नइखे. भाषा के विकास होता लेकिन केहू के बुझाता नइखे कि भोजपुरी एगो भाषा है. इंटरनेशनल. भइल का बा कि भोजपुरी में जे भी गीत गावता, अश्लील गावे लागता. अइसन गायक लोग से भोजपुरी के बहुत नुकसान होता. अइसन गीत से तनी बांची आ भोजपुरी के बचाईं. एगो आईपीएस अफसर बाड़े मृत्युजंय जी. उहां के भोजपुरी में उपन्यास लिखने बानी. गंगा रतन बिदेसी. त भोजपुरी में लिखाई पढ़ाई होखो. बिरहा बिदेसिया होखो लेकिन चोली लिपिस्टिक वाला गाना पर विचार कइल जाओ. हमनी के भाषा में बहुत कुछ बा. कजरी गाईं कजरी. देखत नईंखी. बाहरा बरसता.



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