NDTV Khabar

रवीश कुमार का प्राइम टाइम: जाति-ओहदा दिखाने वाली गाड़ियों पर कार्रवाई

 Share

गाड़ियों के पीछे भारत की पूरी जातिप्रथा जीवित अवस्था में नामांकित गतिशील नज़र आती है. अभी-अभी गुर्जर की कार निकली नहीं कि बगल से ब्राह्मण की कार आ गई. समझ नहीं आता है कि क्या किसी न्यूट्रल को इन दोनों में से किसी एक को चुनना होगा या दोनों से संभल कर रहना होगा. कारों पर ब्राह्मण, राजपूत, अहीर, यादव, ख़ान, ठाकुर, लिखा देखकर यकीन होता है कि जाति प्रथा एक गतिशील प्रथा है. मेरी राय में मारुति और महेंदा को अपने ब्रांड का नाम लिखने की जगह ख़ाली छोड़ देनी चाहिए ताकि लोग अपनी जाति, गोत्र का नाम लिख सकें. आइये इसका विश्लेषण करते हैं. कारणों को गेस करते हैं. क्या वजह होती होगी कारों पर गुर्जर लिखने की, जाट लिखने की या ब्राह्मण लिखने की. क्या कार चोरी करने वाला गिरोह अपने लीडर की जाति का कार नहीं चुराता होगा या खास जाति की कार इसलिए छोड़ देते होंगे कि आस-पास के इलाके में उनका वर्चस्व है. कहीं पकड़ में आ गए तो अंतर्ध्यान कर दिए जाएंगे या फिर जाति का नाम लिखने से उस जाति के ट्रैफिक पुलिस की मेहरबानी मिल जाएगी. कुछ तो होता है या फिर लोग अपनी मासूमियते में लिख जाते होंगे कि फलां की कार है. उस जाति के लोग में गौरव भाव जागता होगा कि हमारी बिरादरी वाले ने कार खरीदी है. हमें भी कार खरीदनी चाहिए. राजधानी दिल्ली में हर कार की जाति होती है. प्रेस वालों की भी जाति ही होती है. जिसे देखो अपनी कार के शीशे पर प्रेस लिख लेता है. लिखने वाले तो जज भी लिख देते हैं. अब नोएडा पुलिस ने ऐसे गाड़ी मालिकों के खिलाफ कार्रवाई करते हुए चालान किया है.



Advertisement

 
 
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com