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रवीश कुमार का प्राइम टाइम : CAB क्‍या देश के मुसलमानों के धैर्य का इम्तिहान है?

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नेता आपसे नहीं कह पाएंगे. उनके पास बांटने के कई हथियार हैं. बांट कर भी आपको कहेंगे कि हमने एक किया है. ये आपको बताने की ज़रूरत नहीं है. जब असम में नागरिकता रजिस्टर का काम शुरू हुआ तो असम को लगा कि गले का हार है. वही गले का हार अब असम के गले का फंदा हो गया है. इस नागरिकता रजिस्टर से असम को क्या मिला? अब जब पूरे देश में एनआरसी लागू होगा तो सोचिए आम लोगों पर क्या गुज़रेगी? असम से बाहर के मुसलमान परेशान हो गए हैं. इस मिट्टी में पैदा होकर भी साबित करने के लिए कागज़ात खोज रहे हैं. जो हमारे साथ खेले और बड़े हुए वो पूछ रहे हैं कि कौन सा कागज़ लाना होगा. क्या यह काफी नहीं है कि सबको शर्म आनी चाहिए कि आपका सहयोगी, हमारा सहयोगी, हमारा क्लासमेट, आपका क्लासमेट, आपका पड़ोसी, हमारा पड़ोसी लाइन में खड़े होकर नागरिकता साबित करने जाएंगे? क्या यही भारत का सपना था?



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