सुप्रीम कोर्ट में एससी एसटी एक्ट को लेकर जो आदेश आया था उसे लेकर बहस चल रही है. 3 मई की बहस में सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से पूछा कि हमारे आदेश की आखिरी पंक्ति में लिखा है कि गंभीर अपराधों में इस आदेश का नहीं बल्कि आईपीसी का महत्व होगा. जजमेंट में कहीं नहीं लिखा है कि आप दलितों के खिलाफ हुए अपराध में एफआईआर नहीं कर सकते. आपको जल्दी और सख्त सज़ा दिलाने से किसने रोका है. आप हफ्ते भर या महीने भर में सज़ा क्यों नहीं दिलवा सकते. हमने तो आदेश में सिर्फ गिरफ्तारी से पहले मंज़ूरी लेने की बात कही है. कोर्ट ने सरकार से यह भी फाइल करने को कहा है कि अगर 15 से 20 फीसदी मामले फर्जी निकले तो बाकी 75 से 80 फीसदी क्या सही थे?