प्राइम टाइम : भारतीय रिज़र्व बैंक की स्वायत्तता में दखल क्यों?
प्रकाशित: नवम्बर 01, 2018 09:00 PM IST | अवधि: 35:09
Share
जब स्वदेशी जागरण मंच भारतीय रिज़र्व बैंक को सलाह देने लगे कि उसे क्या करना है तो इसका मतलब सही है कि भारत में ईज़ ऑफ डूईंग वाकई अच्छा हो गया है. नोटबंदी के समय नोटों की गिनती में जो लंबा वक्त लगा, रिज़र्व बैंक ने सामान्य रिपोर्ट में नोटबंदी पर दो चार लाइन लिख दी, तब किसी को नहीं लगा कि उर्जित पटेल को इस्तीफा दे देना चाहिए. बल्कि तब रिज़र्व बैंक को भी नहीं लगा कि सरकार हस्तक्षेप कर रही है. उसकी स्वायत्तता पर हमला हो रहा है. सबको उर्जित पटेल अर्जित पटेल लग रहे थे. अब उर्जित पटेल का इस्तीफा भी मांगा जा रहा है और उनके भी इस्तीफा देने की ख़बर आ रही है. सरकार और भारतीय रिज़र्व बैंक के बीत संतुलन होना चाहिए मगर यह संतुलन अभी क्यों डोलता नज़र आ रहा है. क्यों स्वदेशी जागरण को भी लगता है कि गवर्नर उर्जित पटेल अपने अफसरों को सार्वजिनक रुप से मतभेदों को उजागर करने से रोकें या फिर पद छोड़ दें.