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दिल्ली में कबड्डी का एक गुरुकुल

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अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेलों को लेकर भारत का हाल किसी से छुपा नहीं है. कुछ खेलों में हमारे खिलाड़ी बहुत शानदानर प्रदर्शन कर रहे हैं लेकिन उनकी कामयाबी में हमारी व्यवस्था की उतनी भूमिका नहीं है जितनी इन खिलाड़ियों की ख़ुद की लगन और मेहनत की. अगर ये कहा जाए कि खेलों को लेकर हमने कोई बेहतर व्यवस्था बनाई ही नहीं तो ग़लत नहीं होगा और जो थोड़ी बहुत बनी वो भी लाल फीताशाही, भाई भतीजावाद और भ्रष्टाचार का शिकार हो गई. किसी भी खिलाड़ी को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहुंचने के लिए जो सुविधा चाहिए वो हम उसे दे नहीं पाते. ऐसा ही एक खेल है कबड्डी, भारत का अपना खेल, इसमें भी अपना रुतबा हम गंवाते जा रहे हैं...



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