प्राइम टाइम इंट्रो : जुवेनाइल जस्टिस एक्ट में संशोधन
प्रकाशित: अगस्त 08, 2014 09:12 PM IST | अवधि: 5:36
Share
रोज़मर्रा की आपाधापी से गुज़रते हुए जब आप थकहार कर टीवी के सामने बैठते हैं तो क्या खुद को इस बात के लिए तैयार रखते हैं कि कुछ वक्त निकाल कर सोचा जाना चाहिए कि किसी अपराधी को अपराध की क्रूरता के अनुसार बालिग माना जाए या उसके कच्चे मन की सीमाओं को समझते हुए नाबालिग माना जाए।