प्रकाशित: नवम्बर 22, 2017 09:54 PM IST | अवधि: 9:27
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1970 के दशक में उत्तराखंड में चले चिपको आंदोलन के बारे में आपने ज़रूर सुना होगा. कैसे उस वक्त पेड़ों को कटने से बचाने के लिए लोग उनसे चिपक जाते थे. लेकिन पर्यावरण पर ये खतरा किसी एक वक्त में नहीं और किसी एक देश में नहीं है. हमारे साथी हृदयेश जोशी अभी जलवायु परिवर्तन सम्मेलन कवर करने जर्मनी गए तो उन्हें पता चला कि बस्तर और झारखंड की तरह वहा भी हम्बख के जंगलों में पावर और माइनिंग कंपनियों के खिलाफ आंदोलन चल रहा है. इस आंदोलन में उन्हें झारखंड भी दिखा छत्तीसगढ़ भी और हिमालय में में सत्तर के दशक में चला चिपको आंदोलन भी.