प्रकाशित: मार्च 16, 2017 09:00 PM IST | अवधि: 37:45
Share
मार्च 2014 में कुल एनपीए का 18.4 फीसदी वसूला जा सका था. मार्च 2016 में कुल एनपीए की वसूली घटकर 10.3 फीसदी हो गई. यानी रिकवरी कम हो गई. बैंकों के एनपीए के कारण भी यह तर्क चल पड़ता है कि जब उद्योगपतियों के लाखों करोड़ नहीं वसूले जा रहे हैं तो किसानों के भी लोन माफ होने चाहिए. अर्थशास्त्री की तरह देखेंगे तो यह एक समस्या है. किसी भी सरकार के लिए इतने लाख करोड़ माफ कर देने में व्यावहारिक और सैद्धांतिक दिक्कत भी है. लेकिन राजनीतिक फैसलों को आप इस तरह से नहीं देख सकते हैं.