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प्राइम टाइम: केरल में प्रतिशोध की राजनीति कैसे ख़त्म होगी?

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30 जुलाई को संघ कार्यकर्ता की हत्या की गई लेकिन केरल की हिंसा का रिकॉर्ड देखें तो सीपीएम के कार्यकर्ता भी उसी तादाद में मारे जा रहे हैं. अगर संघ बीजेपी के कार्यकर्ता मारे जाते हैं तो आरोपी हमेशा सीपीएम के होते हैं और सीपीएम के कार्यकर्ता मारे जाते हैं तो आरोपी हमेशा संघ बीजेपी के होते हैं. कन्नूर की हिंसा की शुरुआत 1960 के दशक में भारतीय जनसंघ के कार्यकर्ता रामकृष्णन की हत्या से होती है. इस हत्या के बदले में सीपीएम कार्यकर्ता की हत्या कर दी जाती है. जिस तरह से तवे पर रोटी पलटते हैं, उसी तरह से कन्नूर में बदले की हिंसा होती है. ऐसा लगता है कि दोनों आदमी की लाश से फुटबाल खेलने के आदी हो गए हों.



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