प्रकाशित: अप्रैल 10, 2014 07:00 PM IST | अवधि: 36:19
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मुज़फ़्फ़रनगर दंगों का दर्द आज भी भरा नहीं है। इसके बाद पूरे इलाके के लोगों में ध्रुवीकरण का असर साफ दिख रहा है। राहत कैंपों में रहने वाले कई परिवार आज वोट डालने अपने पुराने गांव पहुंचे, लेकिन वहां की हालत देखकर वापसी की हिम्मत नहीं जुटा पाए।