संत तुलसीदास ने 387 साल पहले रामचरित मानस की रचना की। लेकिन चित्रकूट के तुलसीपीठ के स्वामी रामभद्राचार्य ने इसमें 3000 गलतियां निकालीं हैं, जिससे संत समाज नाराज है।
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