प्रकाशित: अप्रैल 10, 2015 09:17 PM IST | अवधि: 4:18
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जब भी आप खुद को या किसी को देखते हैं तो सोचते ही होंगे कि आप अपनी नजरों से देख रहे हैं। दरअसल आंखें भले ही आपकी हों लेकिन नजर पूरी तरह से आपकी नहीं है। ये जो नजर है उसे कई तरीके से गढ़ा जाता है। कुछ आप गढ़ते हैं, कुछ समाज, धर्म, राजनीति, फिल्में, किताबें और बहुत कुछ।