प्रणब मुखर्जी ने बजट में काफी कुछ करने की कोशिश की, लेकिन संसद से बाहर आते नेताओं को देखकर ऐसा लगा कि माने वे कई बार देखी गई कोई पुरानी फिल्म देखकर निकल रहे हों।
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