प्रकाशित: सितम्बर 18, 2017 09:40 PM IST | अवधि: 4:30
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पंजाब और पंजाबी के मशहूर कवि अवतार सिंह पाश की कविता के बिना कविता के किसी पाठक की ज़िंदगी पूरी नही हो सकती है. पाश की कविता सत्ता से टकराती है और पढ़ने वाले की सोच को चुनौती देती है. इसके बाद भी 2006 में एनसीईआरटी की ग्यारहवीं की हिन्दी की किताब में पहली बार इस कविता को शामिल किया गया.
(सौ. रेडियो मिर्ची)